अब तक की यात्रा 

इस समिति (केन्द्र) के उद्गम का श्रोत ग्रामीण पृष्ठभूमि रहा है। जिस समयकाल (वर्ष 1968-69) में मेरा और मेरे सहपाठियों का गेरे ग्राम के मिट्टी में जन्म हुआ, उस समय गाँव के समाज का केन्द्रविन्दु कृषि था। जिसमें गाँव के सभी जाति सम्प्रदाय के लोग एक दूसरे के कार्यों में आपसी सहयोग, सदभाव, प्रेम एवं ऊँचनीच का भेदभावरहित जीवन यापन किया करते थे। गांव प्रकृक्ति के गोद में था। चारो ओर हरियाली, पहाड़ एवं पहाड़ पर प्राकृतिक वनस्पति का आवरण था । प्रकृति के इसी गोद में हम सभी का बचपन एवं उसके बाद यौवन गुजरा । इस समयकाल में हम सभी ग्रामीण सहपाठी आपसी सहयोग, सदभाव, प्रेम एवं ऊँचनीच भेदभावरहित जीवन के पाठ की सीख मिली। पढाई लिखाई के साथ कृषि एवं घरेलू कायों में सहयोग देने के अतिरिक्त परिवार एवं समाज से प्राप्त उसी सीख के कारण समय के बहते हुए धारा के साथ आगे बढ़ते हुए एक सुव्यवस्थित, संगठित एवं अनुशासित संध (समिति) का विचार हम सभी के मन मतिष्क में आया। चूंकि उस अवधि के सभी हमारे सहपाठीगण अपने-अपने गृहस्थ्य जीवन के जीविकोपार्जन हेतु अपनी मिट्टी से अलग होकर दूरस्थ रहने लगे ।

इसी क्रम में वर्ष 1995 में हमलोगों द्वारा एक आदर्श ग्राम विकास समिति (केन्द्र) का गठन कर नेहरू युवा केन्द्र, गया से रजिस्टर्ड कराया गया। इसके माध्यम से हम अपने सभी सहपाठियों द्वारा ग्रामीण स्तर पर समाज के बिखरे हुए युवाओं के अंतर्गत पुनः शैक्षणिक, सामाजिक एवं शारीरिक विकास का लक्ष्य निर्धारित करते हुए लगातार कार्य करने का प्रयास किया जाता रहा है। जिसके परिणामस्वरूप आज यह स्थिति परिलक्षित हो रही है कि हमारे ग्राम के कुछ बच्चे वर्तमान में देश के विभिन्न क्षेत्रों के केन्द्रीय विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा हेतु देश के बाहर (विदेश में) एवं तकनिकी शिक्षा हेतु तकनिकी संस्थानों में पढ़ाई कर अपने भविष्य के साथ-साथ अपने समाज के नवजवानों के लिये एक प्रेरणा श्रोत बन कर समाज में शैक्षणिक, सामाजिक एवं शारीरिक विकास का मानक स्थापित करने का काम कर रहे हैं।

आज ग्रामीण मन मतिष्क में स्थापित आदर्श ग्रामीण विकास केन्द्र इस तकनीकि युग में अपने गाँव के प्रतिभाशाली युवाओं का सर्वांगिण विकास हेतु कृत संकलित है। वर्तमान में आदर्श ग्रामीण विकास केन्द्र एक स्वयंसेवी संस्था बन कर इसी कम में बुनियादी रूप से जड़ों को मजबूत करने हेतु लम्बे समय के विचारोपरीत एक वैदिकुलम विद्यालय की भी स्थापन की है। जिसके माध्यम से उन बच्चों के सर्वांगिण विकास हेतु लगातार विद्या अध्ययन के अलावे सामाजिक गतिविधियों को भी संचालित करने का कार्य किया जा रहा है।

वर्तमान में समिति (केन्द्र) का मुख्य उद्देश्य है कि हमारे ग्रामीण बच्चों के अंदर जो प्रतिभा छिपी पड़ी है उसे तरास कर भारत के अतिरिक्त विश्व के क्षितिज पर उभारा जाय । नवजवान अपनी जीवन ऊर्जा का सही इस्तेमाल कर जीवन के मूल उद्देश्यों को प्राप्त करें एवं जीवन की इस अनन्त यात्रा को पूर्ण करें और इस अनन्त यात्रा को आगे बढाते हुए अपने-अपने गंतव्य तक पहुंच सके । हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हम भी जबतक इस भौतिक शरीर में रहे इस विचार यात्रा के सह यात्री बनें एवं दूसरे यात्रियों के यात्रा में भी दिल से सहयोग प्रदान करते रहें ।

धन्यवाद!

सदस्य 

जीतेन्द्र कुमार सिंह (बैजू सिंह)

गेरे मानपुर गया